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तालिबान की मौजूदा लीडरशिप को जानिए, किसके पास क्या जिम्मेदारी है

 


Taliban take over Afghanistan: बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है. जानिए तालिबान की मौजूदा लीडरशिप के बारे में.

चीफ- हैबतुल्लाह अखुनज़ादा:- मौलवी और तालिबानी अदालतों में लंबे वक्त तक जज रहे हैबतुल्लाह अखुनजादा के हाथों में तालिबान की कमान करीब 5 साल पहले आई. मई 2016 में तत्कालीन नेता  मुल्ला मंसूर अख्तर के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद पूर्व इस्लामिक उपदेशक हैबतुल्लाह को सुप्रीम लीडर चुना गया. तालिबान के विभिन्न धड़ों को एक करने में हैबतुल्लाह की भूमिका अहम मानी जाती है. तालिबान की अगुवाई संभालने से पहले उनकी भूमिका अधिकतर एक धार्मिक उपदेशक मौलवी की थी. वहीं जज के तौर पर हैबतुल्लाह की अदालतों में तालिबानी कानूनों के कई सख्त फैसले सुनाए गए.

Taliban take over Afghanistan: तालिबान की मौजूदा लीडरशिप को जानिए, किसके पास क्या जिम्मेदारी है

हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी

सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहीदीन नेता जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा और तालिबानी संगठन हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है सिराजुद्दीन हक्कानी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ करीबी रिश्ते रखने वाले हक्कानी नेटवर्क को सबसे दुर्दांत आतंकी संगठन माना जाता है. सिराजुद्दीन के हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई आतंकी घटनाओं और आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया.

मुल्ला मोहम्मद याकूब:- तालिबान का जनक कहलाने वाले मुल्ला उमर का बेटा और लड़ाका दस्तों का मुखिया. मुल्ला याकूब फील्ड कमांडर है, जिसके मातहत विभिन्न तालिबानी दस्ते काम करते हैं. लड़ाई की रणनीतिक औऱ जमीनी स्तर पर तालिबानी लड़ाकों का रुख नियंत्रित करने में याकूब की अहम भूमिका है.

मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर:- तलिबान के राजनीतिक विंग का मुखिया और अब अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार में राष्ट्रपति पद का चेहरा. तालिबान का गढ़ कहलाने वाले अफगानिस्तान के कंधार इलाके से आने वाला  बिरादर सोवियत सेना के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन में शामिल था. बिरादर न केवल तालिबान मूवमेंट के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी सहयोगी रहा बल्कि इसकी लंबे वक्त से तालिबान के फैसलें में अहम भूमिका निभाता चला आया. दोहा में अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते में भी मुल्ला बिरादर ने ही दस्तखत किए थे.

Taliban take over Afghanistan: तालिबान की मौजूदा लीडरशिप को जानिए, किसके पास क्या जिम्मेदारी है

चीफ जस्टिस मुल्ला अब्दुल हकीम

तालिबान में कानून संबंधी मामलों का जानकार और जज है मुल्ला अब्दुल हकीम. अफगान शांति वार्ताओं में मुख्य वार्ताकार रहा हकीम एक सख्त और कट्टरपंथी नेता माना जाता है. तालिबान में सर्वोच्च निर्णय संस्था है रहबरी काउंसिल जिसमें 26 सदस्य हैं.रहबरी शूरा (नेतृत्वपरिषद)तालिबान की फैसला करने वाली सबसे अहम काउंसिल, जिसमें 26 सदस्य शामिल हैं.तालिबान के विभाग तालिबान व्यवस्था में अलग-अलग मामलों में कई विभाग कायम हैं. सैन्य, खुफिया, राजनीतिक, आर्थिक और अन्य 13 विभागों के जरिए तालिबान शासन चलाता है.बता दें कि काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था. ओसामा को तब तालिबान सरकार की तरफ से आश्रय दिया गया था. एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका. इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया था.

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अमेरिका-तालिबान का समझौता

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो विद्रोहियों के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई को सीमित करता है. इसने तालिबान को अपनी ताकत जुटाने और प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति दी. वहीं राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अपनी योजना की घोषणा की.


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